जीवन के इस दौर में
फिर मन करता है
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नीली चिड़िया गूगल पर मिली |
तुम्हें पढूं
तुम्हें गुनूं
तुम
हो कहाँ !
रहो तुम
जहाँ रहना है तुम्हें
मुझे पता है
ज़रूरी लोग
अपने पीछे
कुछ भी गैर ज़रूरी नहीं छोड़ते
मेरी गुज़र जाएगी
फ़िक्र फिर तुम्हारी है
मैं ऐसा क्या दे पाईं हूँ
तुम्हें ??