शिकवा
मैंने देखा आज सूरज को
बड़ी तसल्ली और करार से
ओझल होता है
पहाड़ नहीं हैं
मेरे घर के आस-पास
बिजली घर के पीछे ही चला गया
कल फिर आने के लिए
और तुम?
यूं ही
अकस्मात्
अनायास
अचानक
कहाँ चले
गए मेरे यार
जाने कहाँ
उदय होने के लिए ?
नहीं सोचा इस हरेपन को
तुम्हारी ही रश्मियों की आदत है
मुलाक़ात
तुम्हें याद करते हुए
जब घिर आई
आँखों में नमी
खुद से कहा
जाओ मेरी रूह
मुलाकात का वक़्त
ख़त्म हुआ |
***
प्रेम
ऐ शुक्र तेरा शुक्रिया
कि आज तमतमाए सूरज पर
तुम किसी
खूबसूरत तिल
की तरह मौजूद थे.
क्या हुआ...
सुबह ठंडी थी
और परिंदे हैरान
प्रेम यूं भी लाता है
खुशियों के पैगाम
सौ साल में एक बार.
***

बड़ी तसल्ली और करार से
ओझल होता है
पहाड़ नहीं हैं
मेरे घर के आस-पास
बिजली घर के पीछे ही चला गया
कल फिर आने के लिए
और तुम?
यूं ही
अकस्मात्
अनायास
अचानक
कहाँ चले
गए मेरे यार
जाने कहाँ
उदय होने के लिए ?
नहीं सोचा इस हरेपन को
तुम्हारी ही रश्मियों की आदत है
***

मुलाक़ात
तुम्हें याद करते हुए
जब घिर आई
आँखों में नमी
खुद से कहा
जाओ मेरी रूह
मुलाकात का वक़्त
ख़त्म हुआ |
***
प्रेम

कि आज तमतमाए सूरज पर
तुम किसी
खूबसूरत तिल
की तरह मौजूद थे.
क्या हुआ...
सुबह ठंडी थी
और परिंदे हैरान
प्रेम यूं भी लाता है
खुशियों के पैगाम
सौ साल में एक बार.
***