वही जो आदिवासी लड़का
लड़की को देता है
लड़की को देता है
मैं भी हो गयी थी तेरी
सदा के लिए.
क्या कोई मंतर था सदा के लिए.
मिटटी और लकड़ी के टुकड़ों में
या थी वो नज़र
जो सिवाय भरोसे के कुछ और देती ही नहीं थी.
समझ रही हूँ मिटटी-लकड़ी
देने का सबब
सच, तुम्हारी निगाहें
बहुत दूर तक देख लेती थीं .