
अर्से से
संभाल रखी थी
मोहब्बत की धरोहर के लिए मशहूर
शहर से लाई एक सफ़ेद प्लेट
उसकी संग ए मरमरी जाली के पास कई रंग थे
इक-दूजे की खूबसूरती में लिपटे
आज, वह प्लेट टूट गयी
रंग बिखर गए
सिर्फ सफ़ेद नज़र आता है अब
टूटी यादों को फेंका नहीं उसने
जोड़ा और सहेज लिया
खुद को भी कहाँ फेंका उसने
सहेज रखा है
अक्षत वनपीस की तरह.