
प्याज
जाने क्या है
तुम और नमीं
कदम-ताल मिला कर ही आते हो
और आज तो दस्तक भी शामिल हो गयी थी
अधकटे प्याज के साथ खोल दिया दरवाज़ा
एक बार फिर मैंने छिपा लिया था तुम्हें
और तुम्हारे लिए अपने जज़्बात .
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मटर

गर मटर छीलने में
तुम्हारी मदद ली
तो बन चुकी सब्जी
मटर, कटोरदान से कम
तुम्हारे होठों से ज्यादा टकराते थे ,
अब कटोरदान मटर से लबरेज़ है
तुम नहीं आओगे मेरी मदद को ?
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मैथी
वही मैथी
पकने पर खुशबू भी वही
फिर उसके सब्ज़ में
ये कौन से रंग
घुल आये हैं
एक तो जाना-पहचाना
तुम्हारी पसंद का है
दूसरा मेरी वीरानी का है शायद
रिश्ता बन रहा है उससे भी
लेकिन अब मैथी
नहीं बनती उस घर में कभी ||
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