श्वेता भट्ट,इलिना सेन, जाग्रति पंड्या और चित्रा सिंह को



उन पत्नियों को सलाम करने को जी चाहता है जो न्याय की राह में अपने पतियों के लिए डटी हुई हैं। निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने गुजरात सरकार से लोहा लिया है तो
विनायक सेन की पत्नी इलिना सेन छत्तीसगढ़ में लड़ रही हैं। गुजरात ही के पूर्व गृहमंत्री हरेन पंड्या की पत्नी जागृति पंड्या भी अपने पति की हत्या के पीछे रची
साजिश का पर्दाफाश करना चाहती हैं । ये वो पत्नियां हैं, जिन्होंने अपने पतिके संघर्ष को आगे बढ़ाया है। पढ़ी-लिखी पत्नियां, जिन्होंने अपने पति के पेशे की चुनौतियों को समझा। ऐसी हमसफर जो अपनी भूमिका को केवल चार दीवारी और चूल्हे-चौके तक सीमित नही करती। बेशक वे लाल साड़ी और लाल बिंदी में आपको नजर नहीं आएंगी, लेकिन उनका संघर्ष आपको लालिमा से ओत-प्रोत दिखेगा। भारत में ऐसी वैचारिक शादियों की परंपरा नहीं, लेकिन
ऐसी कई महिलाएं अपने मोर्चों पर डटी हुई हैं। अगर ये न होतीं तो
इनके पति की आवाज जेल की सलाखों में दबा दी गई होती या
फिर उनकी हत्या के राज कभी खुल नहीं पाते। करवा चौथ का
व्रत भी शायद ऐसे ही साथ की हिमायत करता है। यह महज
सोलह सिंगार कर पति को रिझाने
का उपक्रम नहीं, बल्कि अंतिम सांस तक रिश्ते के निर्वाह का व्रत
है। यह सचमुच देह से देह में मिलने की ऐसी कहानी है कि
इसमें कितना कौन है, इसकी पहचान ही नहीं हो पाती।
रिश्तों की इस पवित्र परंपरा को सजदा करते हुए जरूरी नहीं कि
आपका साथी आस-पास ही मौजूद हो। इस गैर मौजूदगी में
जगजीत सिंह की पत्नी चित्रा सिंह आज अकेली हैं। दोनों संगीत की
डोर से ही बंधे थे। यूं भी मिर्जा गालिब के कलाम को जगजीत
सिंह ने बेहद खूबसूरती से गाया है। हम सब सुबह-शाम के इस तमाशे के साक्षी हैं। गालिब का ही शेर उनकी आवाज में मन ही मन गुनगुना लीजिए-
बाज़ीचा ए अतफाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे
बाज़ीचा ए अतफाल- बच्चों का खेल
शब ओ रोज- सुबह-शाम




विनायक सेन की पत्नी इलिना सेन छत्तीसगढ़ में लड़ रही हैं। गुजरात ही के पूर्व गृहमंत्री हरेन पंड्या की पत्नी जागृति पंड्या भी अपने पति की हत्या के पीछे रची
साजिश का पर्दाफाश करना चाहती हैं । ये वो पत्नियां हैं, जिन्होंने अपने पतिके संघर्ष को आगे बढ़ाया है। पढ़ी-लिखी पत्नियां, जिन्होंने अपने पति के पेशे की चुनौतियों को समझा। ऐसी हमसफर जो अपनी भूमिका को केवल चार दीवारी और चूल्हे-चौके तक सीमित नही करती। बेशक वे लाल साड़ी और लाल बिंदी में आपको नजर नहीं आएंगी, लेकिन उनका संघर्ष आपको लालिमा से ओत-प्रोत दिखेगा। भारत में ऐसी वैचारिक शादियों की परंपरा नहीं, लेकिन
ऐसी कई महिलाएं अपने मोर्चों पर डटी हुई हैं। अगर ये न होतीं तो
इनके पति की आवाज जेल की सलाखों में दबा दी गई होती या
फिर उनकी हत्या के राज कभी खुल नहीं पाते। करवा चौथ का
व्रत भी शायद ऐसे ही साथ की हिमायत करता है। यह महज
सोलह सिंगार कर पति को रिझाने
का उपक्रम नहीं, बल्कि अंतिम सांस तक रिश्ते के निर्वाह का व्रत
है। यह सचमुच देह से देह में मिलने की ऐसी कहानी है कि
इसमें कितना कौन है, इसकी पहचान ही नहीं हो पाती।
रिश्तों की इस पवित्र परंपरा को सजदा करते हुए जरूरी नहीं कि
आपका साथी आस-पास ही मौजूद हो। इस गैर मौजूदगी में
जगजीत सिंह की पत्नी चित्रा सिंह आज अकेली हैं। दोनों संगीत की
डोर से ही बंधे थे। यूं भी मिर्जा गालिब के कलाम को जगजीत
सिंह ने बेहद खूबसूरती से गाया है। हम सब सुबह-शाम के इस तमाशे के साक्षी हैं। गालिब का ही शेर उनकी आवाज में मन ही मन गुनगुना लीजिए-
बाज़ीचा ए अतफाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब ओ रोज तमाशा मेरे आगे
बाज़ीचा ए अतफाल- बच्चों का खेल
शब ओ रोज- सुबह-शाम